मंगलवार, 20 सितंबर 2016

बुर्ज खलीफा से भी ऊंचा होगा भारत का यह मंदिर

विश्व की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा को भारत का एक मंदिर मात देगा। इस मंदिर का निर्माण शुरु हो चुका है और इसकी ऊंचाई बुर्ज खलीफा की ऊंचाई से अधिक होगी।
भगवान बांकेबिहारी लाल की नगरी वृंदावन में दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर बन रहा है। इस मंदिर की इमारत दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा से भी ऊंची होगी। बताया जा रहा है कि इस्कॉन संस्था की ओर से वृंदावन में बनाए जाने वाले 70 मंजिला चंद्रोदय मंदिर की ऊंचाई 210 मीटर होगी और इसे एक पिरामिड के आकार में बनाया जाएगा। इसे बनाने की तैयारियां 2006 से की जा रही थीं। इस मंदिर की खास बात यह है कि इसकी केवल ऊंचाई ही नहीं बल्कि गहराई भी अधिक होगीताकि नींव भी उतनी ही मजबूत रहे। यह इमारत लगभग 55 मीटर गहरी होगी और इसका आधार 12 मीटर तक ऊंचा होगाजबकि दुबई स्थित दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा की गहराई मात्र 50 मीटर है। प्राकृतिक आपदा के लिहाज से भी इसे काफी मजबूत बनाया जा रहा है और 8 रिक्टर स्केल से अधिक तीव्रता का भूकंप भी इसे क्षति नहीं पहुंचा सकेगा। इसके अलावा इसमें प्रयोग किए जाने वाले कांच और अन्य सामान भी भूकंप रोधी होंगे। कुल 511 पिलर वाला यह मंदिर 9 लाख टन भार सहने की क्षमता वाला होगा और 170 किलोमीटर की तीव्रता के तूफान को भी झेलने में सक्षम होगा। इस मंदिर का निर्माण 2022 तक पूरा हो सकेगा।
होगा विश्व का सबसे मॉडर्न मंदिर
बुर्ज खलीफा को ऊंचाई में मात देने वाला यह मंदिर अब तक का सबसे मॉडर्न मंदिर भी होगाजिसमें 4डी तकनीक से देवलोक और देवलीलाओं के दर्शन भी हो सकेंगे। इस मंदिर के आसपास प्राकृतिक वनों का वातावरण तैयार किया जाएगा और यमुनाजी का प्रतिरूप तैयार कर नौका विहार की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा सकेगी। इसके अलावा इसमें श्रीकृष्ण के जीवन लीलाओं को जानने के लिए पुस्तकालय व अन्य माध्यम भी होंगे। 70 मंजिला इस इमारत के प्रारंभिक 3 तलों पर चैतन्य महाप्रभु और राधाकृष्ण बलराम के मंदिर के अलावा अन्य तलों पर आगंतुकों के लिए गैलरीटेलिस्कोप सुविधा और अन्य सुविधाएं होंगी जो आसपास के धर्मिक स्थलों से जुडऩे के लिए सहायक होंगी। इसमें लगाई जाने वाली लिफ्ट की तीव्रता मीटर प्रति सेकंड होगी। यहां 10 एकड़ में अंडरग्राउंड पार्किंग के अलावा सड़क निर्माण और अन्य सुविधाओं को मिलाकर इसके निर्माण में कुल 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 

साभार-राजस्थान पत्रिका

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