गुरुवार, 15 सितंबर 2016

अंतिम संस्कार के लिए भीड़ ने जुटाए 12 हजार रुपये


मानवता को शर्मसार करने वाले खबरों से समाचार संसाधन भरे पढ़े है। इन्हीं संसाधनों पर इंसानियत की जीती जागती मिसालें आजकल कम ही देखने को मिलती है। लेकिन गुजरात के राजकोट में जो कुछ हुआ वह इंसानियत के नाते किसी मिसाल से कम नही है।
गुजरात के राजकोट के दाहोद के मजदुर परिवार के 11 साल के बेटे की किसी कारण वश मौत हो गई। परिवार मजदूर था और आर्थिक तंगी के कारण उनके पास डेड बॉडी ले जाने के पैसे भी नहीं थे। परिवार के लोग करीब 12 घंटे लाश लेकर डिपो में बैठे रहे। पैसे के जुगाड़ की जुग्गत में लगे परिवार को हर ओर निराशा ही मिली। तभी यह बात जब ड्राइवरों और परिवहन कर्मचारियों को पता चली तो उन्होंने चंदा इकट्ठा करना शुरू कर दिया। देखते ही देखते ड्राइवरों ने 12 हजार रुपये का चंदा एकत्रित करके मजदूर परिवार को दे दिया। इसके बाद परिवार को लाश लेकर रवाना किया गया, तब जाकर बालक का अंतिम संस्कार हुआ। बताया जाता है कि कुछ कर्मचारी को बच्चे का अंतिम संस्कार कराने के लिए शमशान घाट तक भी पहुंचें। बस डिपो के कर्मचारियों ने मानवता का उत्तम उदाहरण पेश करके यह दिखा दिया कि आज भी देश में इंसानियत जिंदा है। सलाम इन ड्राइवरों व कर्मचारियों को।

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